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एक पल भगति प्रेम की, कोट बरस का जोग । जब लग पल पाव

एक पल भगति प्रेम की,
कोट बरस का जोग ।
जब लग पल पावे नहीं,
तब लग जोग वियोग ।।

सद्गुरू कबीर साहेब जी 

अपने आराध्य की भक्ति प्रेम पूर्वक एक भी पल करते है, वह करोड़ो वर्षो के योग के बराबर है । सच्चे प्रेम के अभाव में किये जाने योगिक क्रिया, वियोग के बराबर है अर्थात ऐसे योग साधना व्यर्थ है।
भाव यह है कि प्रेम के बिना परमात्मा की प्राप्ति कदापि संभव नही है ।

(😊कबीर मिशन समाचार)

©Harpal Malviya
  कबीर के दोहे.... 😊

कबीर के दोहे.... 😊 #Shayari

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