कद्र ख़ुद की कर औरो की कद्रदानी कर गऱ ठोकर खाऊँ मैं कभी, संभाल लो मुझे ऐसी निगहेबानी कर। छोटी सी आरज़ू है, गुज़ारिश है, फ़क़त इतनी मेहरबानी कर। स्याह अँधेरी रातो में, आकर तू,मेरी रौशन चऱागदानी कर। महक उठूँ मैं भी, पाकर तुझे, मेरे दिन ग़ुलाब हो, रातों को रातरानी कर। 'मेहरबानी कर' मेरे दोस्त मुझ पर इतनी मेहरबानी कर आगे की कहानी आप लिखें Collab करें YQ Bhaijan के साथ। #mehrbanikar