दो कदम तो चलो अकेला, क्यों तूफानों से घबराते हो, मंजिल मिलने से पहले, क्यों अपनी थकान मिटाते हो। किस काम का जन्म तेरा, जो मानव बनके अवतारे हो, जरा सी विपदा आन पड़ी, क्यों अपनी हिम्मत हारे हो। तुम ना रुकना ना झुकना, जीवन पथ पर अग्रसर होना, सतत प्रयत्न करते रहो, चाहे तेरे गर्दिश में सितारे हो। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-58 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।