Nojoto: Largest Storytelling Platform

बरसते बरसात की बात निराली हैं, गम के आंसू छिपाती ह

बरसते बरसात की बात निराली हैं,
गम के आंसू छिपाती हैं,

सुखी धरती की तपती मिट्टी को,
भिगोकर सुगंधित बनाती हैं।

©Amit vadgama
  #RainPoetry