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उजले दिनों में बीता‌ बचपन फिर क्यों अंधेरों में बी

उजले दिनों में बीता‌ बचपन फिर क्यों
अंधेरों में बीत रही मेरी जिंदगी है
कोई राह नहीं क्या जिसमे उजाला हो
खोने का डर‌ था दिल में अब कहीं अटक
न जाऊं
कहां गुम है मेरी मुस्कुराहटे कोई तो बाताए
राह सही है क्या अब यह कौन समझाए?

©SAHIL KUMAR
  राहें है कहा
sahilkumar8501

SAHIL KUMAR

New Creator

राहें है कहा #शायरी

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