कुदरत ने बनाया है कुदरत ने बनाया है ये सारा जहान, उससे भी अनोखा बनाया है इंसान। कुदरत ने सोचा ये वहां प्रेम फैलाएगा, आपस में ये भाई-चारा भी बढ़ाएगा। दर्द भी बांटेगा ये सभी के पृथ्वी पर जाकर, खुशी में शामिल करेगा सभी को बुलाकर। राम राज्य सा सबका आचरण रहेगा, जुल्मों सितम का ना ही साया पड़ेगा। कुदरत ही अब तो सोच में पड़ी है, ये भी कैसी अब मुश्किल घड़ी है। अत्याचार का दायरा बढ़ रहा है, इंसान-इंसान से ही कट रहा है। अब भी हैं मेरे तो कुछ फरिश्ते वहां, बढ़ रहा हैवानियत का कुरूप जहां। थामे हैं गुनाहों को अभी भी शिष्टाचार से, रोके हैं उनको जो लिपटे हैं भ्रष्टाचार से। कायम है शुद्ध आचरण जहां पर, समझो मेरे ही फरिश्ते हैं वहां पर। कुदरत ने बनाया है ये सारा जहान, उससे भी अनोखा बनाया है इंसान। ...................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कुदरत_ने_बनाया_है कुदरत ने बनाया है कुदरत ने बनाया है ये सारा जहान, उससे भी अनोखा बनाया है इंसान। कुदरत ने सोचा ये वहां प्रेम फैलाएगा,