ढलते मंजर में शाम रूहानी हो आई है, खुद से बातें करती खुद की परछाई है। यूं शबनमी एहसास लिए गिरती जो बूंदें, एक तरफ मिलन है एक तरफ जुदाई है। © Prashant Sharma #baarish #feeling