"मैं चाहता हूँ कि मेरे अंदर का बोझ अब हल्का होना चाहिए। तुम मुझसे प्यार नहीं करती, दिखावा करती हो, ये जान कर मैं अपनी गलतियों पर थोड़ा कम शर्मिंदा महसूस कर सकता हूँ।" संडे का मज़ा दिसम्बर के इस गुनगुनी सुबह में ही आता है। बालकनी में बैठ कर चाय की चुस्कियों के साथ अख़बार पढ़ने का अपना ही मज़ा है। बस इस सुकून भरे दिन में एक ही कमी होती है..... बालकनी के बाहर की दुनिया में शोर और अपने इस छोटी सी दुनिया में बसी चुप्पी। मैं जानता हूँ कि इस गुनगुनी धूप का मजा लेने वाला मैं अकेला ही हूँ। उसे जाने क्यों अँधेरे में बैठना उठना इतना पसंद है? शायद वो किचन में अभी से ही लंच की तैयारी में जुटी है। वो भी ना पागल है एकदम! मुझ जैसे सेल्स मेनेजर को भी एक दिन की छुट्टी मिल जाती ह