उल्टी हवा बहाने निकले, किस्मत को चमकाने निकले, मैं भी कुछ कर सकता यारों, दुनिया को दिखलाने निकले, थे ख़याल दकियानूसी के, फिर से राग पुराने निकले, फलां-फलां कारण थे इसके, कितने नए बहाने निकले, चलो पाप धो लेते चलकर, गंगा आज नहाने निकले, दाना चुगने कोई न आया, पंछी सभी सयाने निकले, वादा पूरा किया न अबतक, झूठे सभी बयाने निकले, बुरा वक़्त जब आकर घेरे, सारे अश्रु बहाने निकले, 'गुंजन' मन की सुनले अपनी, हम भी पुण्य कमाने निकले, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #उल्टी हवा बहाने निकले#