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( खास दोस्त की नजर में ब्रजेश की चंद पंक्तियाँ )

( खास दोस्त की नजर में ब्रजेश की चंद पंक्तियाँ )

" साफ सुथरी है राहें और गलियों तक में धूल नहीं..

कमल सा है चेहरा लिए फिरते लेकिन वो गुलाब का फूल नहीं..

दिल अब रोक देता है हाथ मिलाने या हाथ जोड़ने से पहले ही..

कि?.. अब उसकी प्रार्थनाए भी मुझे कबूल नहीं...

वो सावधानियाँ बरतता है, मिलने-जुलने में भी, 

तो अब मेरा भी वक्त किसी के लिए फिज़ुल नहीं "

ब्रजेश कुमार  ( खास दोस्त की नजर में ब्रजेश की चंद पंक्तियाँ )

" साफ सुथरी है राहें और गलियों तक में धूल नहीं..

कमल सा है चेहरा लिए फिरते लेकिन वो गुलाब का फूल नहीं..

दिल अब रोक देता है हाथ मिलाने या हाथ जोड़ने से पहले ही..
( खास दोस्त की नजर में ब्रजेश की चंद पंक्तियाँ )

" साफ सुथरी है राहें और गलियों तक में धूल नहीं..

कमल सा है चेहरा लिए फिरते लेकिन वो गुलाब का फूल नहीं..

दिल अब रोक देता है हाथ मिलाने या हाथ जोड़ने से पहले ही..

कि?.. अब उसकी प्रार्थनाए भी मुझे कबूल नहीं...

वो सावधानियाँ बरतता है, मिलने-जुलने में भी, 

तो अब मेरा भी वक्त किसी के लिए फिज़ुल नहीं "

ब्रजेश कुमार  ( खास दोस्त की नजर में ब्रजेश की चंद पंक्तियाँ )

" साफ सुथरी है राहें और गलियों तक में धूल नहीं..

कमल सा है चेहरा लिए फिरते लेकिन वो गुलाब का फूल नहीं..

दिल अब रोक देता है हाथ मिलाने या हाथ जोड़ने से पहले ही..