आतंक क्यो हम आतंकी आघातों को सीने में सह जाते है, क्यो हम पकिस्तानी बातो को सुनकर रह जाते है, और अपमान हमारी भारत मा जननी का होता है, तो क्यो हम नपुंसक होके शर्मशार खड़े रह जाते है, इतना चोटिल हम न होते गर द्रोण अभी भी होते, हम इतने लाचार न होते गर कौटिल्य अभी भी होते, और लाशें मां के बेटो की ना आती वापस घर को, गर कुरुओ के बल गंगा पुत्र भीष्म अभी भी होते, थोड़ी आज़ादी देकर हिम्मत भर दो हममे मोदी जी, हम यल.ओ.सी के भीतर घुस उनको काल दिखाएंगे, थोड़ी पंख लगा हमको आकश दिखा दो मोदी जी, फिर तो हम चण्डी को आतंकी मुंडमाल पहनाएंगे, और थोड़ी भर दो जान हमारी बन्दूकों में मोदी जी, तो फिर हम पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाएंगे, दिप्तेश तिवारी आतंक सभी को मेरा प्रणम्य हाल में ही हमे शहीद नरेंद्र के बारे में पता चला कैसे आतंकियों ने उनका कत्ल कर दिया तब मैं कुछ कहता हूँ अगर सच कह रहा हूँ तो जरूर बताऐं।