मुस्कुराना सीख लिया, देखा तुझे मुस्कुराता जबसे, पूरी दुनिया ही मेरा घर हुआ, तेरे दिल का पता मिला जबसे। पागल बन अपनी ही धुन में इतराता सा फ़िरता हूँ मैं, बड़ी शरारत से तूने पलट के मुस्कुराकर देखा जबसे। ज़हन में इस तरह तू रहता है मेरे जैसे सीप में मोती, होश रहता नहीं ख़ुद का, तेरे इश्क़ में बेहोश हुआ जबसे। दो जहाँ मिल गया, खुशियों को जैसे मेरा पता मिल गया, तन्हाई का कोई डर न रहा, तेरा साथ मिल गया जबसे। ढूँढते सब मुझको ,पर मैं मिलता ही नहीं कहीं आजकल, फ़र्श पर पाँव टिकते नहीं, बना इश्क़ का परिंदा जबसे। आइना दुलारने लगा है, प्यार से मुझे निहारने लगा है, छेड़ने लगा है मुझको, किस्सा तेरा कानों में पड़ा जबसे। ♥️ Challenge-735 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।