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कदाचित विरह के पीर में... अब दिल ये रोयेगा उम्रभर

कदाचित विरह के पीर में...
 अब दिल ये रोयेगा उम्रभर !

                        और आहत शब्दों के व्यूह से ,
                      निकलना ही होगा निरंतर

रिक्तियों से भर चुका है ,
जो प्रेम का सूखा समन्दर!

                     गूंजता रहेगा मेरे कर्ण में ,
                            उन स्नेहसिक्त अधरों का स्वर !

©V Vanya #विरह के स्वर
कदाचित विरह के पीर में...
 अब दिल ये रोयेगा उम्रभर !

                        और आहत शब्दों के व्यूह से ,
                      निकलना ही होगा निरंतर

रिक्तियों से भर चुका है ,
जो प्रेम का सूखा समन्दर!

                     गूंजता रहेगा मेरे कर्ण में ,
                            उन स्नेहसिक्त अधरों का स्वर !

©V Vanya #विरह के स्वर