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जगमग रोशनी की किरण चांद का आइना सा लगती है हद सारी

जगमग रोशनी की किरण
चांद का आइना सा लगती है
हद सारी सरहद सारी 
उस चांद के आगे मिटती सी लगती है
डगर है डगमग डगमग
पर ए गालिब, नजर तो हमेशा उस चांद को ही तकती है
दीदार उसका मुश्किलो को फीका करता है
एक जोश एक उम्मीद हर पल आंखो में भरता है
तकदीर तस्वीर सब उससे ही बनती है 
उस सूरत सी चमक ,कायनात में कहां मिलती है

©Neha Bhargava (karishma)
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