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कुछ ऐसा चांद दिखा, शुक्रवार था,शुक्र है, ईद मन जान

कुछ ऐसा चांद दिखा,
शुक्रवार था,शुक्र है,
ईद मन जाने का फिर,
इक महीना, जिक्र है,
मन गयी हैरत की हस्ती,
हैरानगी कम क्या बस्ती?
चांद -तारा मानो, वो-
गले में नभ -शिशु के मस्ती।
और ऐसी एक माला,
बच्चा -बच्चा गले डाला।

©BANDHETIYA OFFICIAL #चाँद तारे के संग!
कुछ ऐसा चांद दिखा,
शुक्रवार था,शुक्र है,
ईद मन जाने का फिर,
इक महीना, जिक्र है,
मन गयी हैरत की हस्ती,
हैरानगी कम क्या बस्ती?
चांद -तारा मानो, वो-
गले में नभ -शिशु के मस्ती।
और ऐसी एक माला,
बच्चा -बच्चा गले डाला।

©BANDHETIYA OFFICIAL #चाँद तारे के संग!