कुछ ऐसा चांद दिखा, शुक्रवार था,शुक्र है, ईद मन जाने का फिर, इक महीना, जिक्र है, मन गयी हैरत की हस्ती, हैरानगी कम क्या बस्ती? चांद -तारा मानो, वो- गले में नभ -शिशु के मस्ती। और ऐसी एक माला, बच्चा -बच्चा गले डाला। ©BANDHETIYA OFFICIAL #चाँद तारे के संग!