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बंजर को जैसे बहार की दरकार होती है, नज़र को तेरी ह

बंजर को जैसे बहार की दरकार होती है,
नज़र को तेरी हसरत ए दीदार होती है।

उम्मीदों को जैसे उड़ानों की चाह होती है,
तेरी सोहबत की तमन्ना लगातार होती है।

खलिहानों को जैसे फुहारों की गुहार होती है,
नज़र तेरे इंतज़ार में तार तार होती है।

किसी खास के आने से जैसे ज़िन्दगी गुलज़ार होती है,
नज़रों से ही तो इश्क़ की शुरुआत होती है।

इस भीड़ में कहां सुकून ए हयात मिलती है?
नज़र को जो भाए वो अवध की शाम होती है। Shaam-E-Awadh...
#poetry
#poem
#love
#अवध
#लखनऊ_की_शाम
#sunset
#yqdidi
बंजर को जैसे बहार की दरकार होती है,
नज़र को तेरी हसरत ए दीदार होती है।

उम्मीदों को जैसे उड़ानों की चाह होती है,
तेरी सोहबत की तमन्ना लगातार होती है।

खलिहानों को जैसे फुहारों की गुहार होती है,
नज़र तेरे इंतज़ार में तार तार होती है।

किसी खास के आने से जैसे ज़िन्दगी गुलज़ार होती है,
नज़रों से ही तो इश्क़ की शुरुआत होती है।

इस भीड़ में कहां सुकून ए हयात मिलती है?
नज़र को जो भाए वो अवध की शाम होती है। Shaam-E-Awadh...
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nazarbiswas3269

Nazar Biswas

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