#WorldTheatreDay हाय प्रताड़ित कर बैठा वियोग तुम्हारा क्षोभ प्रिये, सुहागिन तुम अभागे हम सौभाग्य तुम्हारा मृत्यु प्रिये, बर्तन की खट-पट अब कैसी उजले कैसे वस्त्र प्रिये, कट-कट कर सब अंग बिखर गए बिन अस्त्र बिन शस्त्र प्रिये, भय भर हृदय अकेलेपन का त्याग दूँ आत्मा वस्त्र प्रिये, सो जाए चिर निद्रा में तन कर लूँ हत्या निज हस्त प्रिये...✍🏻 #संगिनी_की_मृत्यु