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ना जाने क्यों कई रोज से , कुछ खाली-खाली सा लग रहा

ना जाने क्यों कई रोज से ,
कुछ खाली-खाली सा लग रहा है,
सब कुछ है पास मगर,
कुछ अधूरा सा लग रहा है,
बैठे-बैठे ना जाने किन ख्यालों में गुम हो जाती हूँ,
थोड़ी उलझी हुई सी हूँ, 
या ना जाने किस उधेड़बुन को सुलझाना चाह रही हूँ,
एक पल को भी नजरे ठहरती नहीं,
ना जाने क्या ढूंढती है,
आजकल नींद बहुत आती है,
आँखे मूंदू तो कही खो सी जाती है,
अंदर एक ख़ामोशी सी ठहर गयी है,
रोना चाहुँ भी तो रो नहीं पाती,
कहने को बातें बहुत है मगर,
कुछ बोलूं की होंठ सिल जाते है,
थक चूँकि हूँ अब जिंदगी से,
जैसे हर तरफ कोहरा पड़ा है,
भटक रही हूँ जैसे इन अंधेरों में,
पर न जाने किस नयी सुबह की दुआ मांगती हूँ | 
~sonamkuril #नाजानेक्यों #selfthought
ना जाने क्यों कई रोज से ,
कुछ खाली-खाली सा लग रहा है,
सब कुछ है पास मगर,
कुछ अधूरा सा लग रहा है,
बैठे-बैठे ना जाने किन ख्यालों में गुम हो जाती हूँ,
थोड़ी उलझी हुई सी हूँ, 
या ना जाने किस उधेड़बुन को सुलझाना चाह रही हूँ,
एक पल को भी नजरे ठहरती नहीं,
ना जाने क्या ढूंढती है,
आजकल नींद बहुत आती है,
आँखे मूंदू तो कही खो सी जाती है,
अंदर एक ख़ामोशी सी ठहर गयी है,
रोना चाहुँ भी तो रो नहीं पाती,
कहने को बातें बहुत है मगर,
कुछ बोलूं की होंठ सिल जाते है,
थक चूँकि हूँ अब जिंदगी से,
जैसे हर तरफ कोहरा पड़ा है,
भटक रही हूँ जैसे इन अंधेरों में,
पर न जाने किस नयी सुबह की दुआ मांगती हूँ | 
~sonamkuril #नाजानेक्यों #selfthought
sonamkuril1938

Sonam kuril

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