सब कुछ होकर भी, कुछ तन्हा-सा हूँ मैं आज पता नहीं क्यूँ, बस कुछ रूठा-सा हूँ मैं आज यूँ तो सब पास है मेरे, फिर भी कुछ अधूरा-सा हूँ मैं आज मन में हजारों खयालात उमङ रहे हैं, बस इन्हीं ख्यालों से कुछ सहमा-सा हूँ मैं आज ना जाने इस हंसते खेलते चेहरे पर कौन-सी मुस्कराहट आखिरी होगी ना जाने इन नशीली आँखो में कौन-सा जाम आखिरी होगा ना जाने दिल की इस सूखी जमीं पर कौन-सी बूंद आखिरी होगी ना जाने इस विछौरे की कौन-सी शाम आखिरी होगी बस अब और ना सताओ मुझे, बहुत रुलाया गया हूँ मैं आज । . . . ♠️H.D.♠️ बहुत रुलाया गया हूँ मैं आज