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जब से आया है फ़ाल्गुन चारों तरफ लगती बोली ही बोली

जब से आया है फ़ाल्गुन 
चारों तरफ लगती बोली ही बोली हैं 
इनको रंगने उनको रंगने निकली ही टोली है 
कोई छिपता है तो कोई भागता है 
मानो वर्षो के बाद आई होली ही होली है कोई बचने न पाये
जब से आया है फ़ाल्गुन 
चारों तरफ लगती बोली ही बोली हैं 
इनको रंगने उनको रंगने निकली ही टोली है 
कोई छिपता है तो कोई भागता है 
मानो वर्षो के बाद आई होली ही होली है कोई बचने न पाये