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ग़र तू बेगुनाह होता, तो शाम से पहले लौट आता जहाँ त

ग़र तू बेगुनाह होता, तो शाम से पहले
लौट आता जहाँ तेरा बसर था
बर्बाद तो मैं होता, आखिरी जाम से पहले
रोक लेता बस इतना सबर था

©Uday Rajpoot 'Yudi'
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