जब भी किनारे पर मैं पहुंचूं/ ना जाने क्यूं मन घबराए! बीते पल के छलावे क्यों मुझे छलते जाएं- आशा थी जो मन को मेरे/ मन के भीतर आग लगाएं!! ©seema kapoor जीवन चक्र जीवन चक्र #Life