इंतज़ार और मोहब्बत आँखों में तेरा इन्तजार लिए। दिल में तेरा प्यार लिए। खड़ी हूँ मै वहीं पर। जहां तू छोड़कर गया था। तब हरा भरा था पेड़ ये। इसकी जड़ें भी मजबूत थी। यहीं पर मिलने को बुलाता था तू। मै दौड़ी दौड़ी तेरे पास आती थी। सूख गया ये पेड़ पर तू नहीं आया। आवाज भी ना दी न मुझको बुलाया। क्या खता थी मेरी जो सजा दी तूने। क्युं सितमगर तूने मुझे इतना सताया। सांसें मेरी थम जाए उससे पहलें तू आजा। मै बिरहन बनी हुई हूँ मुझे अपना बना जा। मेरे नैना भी थक चुके हैं अब तेरी बाट में। अपनी बना के दुल्हन मुझे साथ लेके जा। अजय कुमार व्दिवेदी 15/10/2019 01:05:03 #कविता - दिल में तेरा प्यार लिए।