जमाना आ गया कैसा, उड़े अब धूल सावन में। बताए ये जरा कोई, हुई क्या भूल सावन में। बढ़ी इतनी अधिक गर्मी, हुए बेहाल पशु पक्षी- किसी रिमझिम फुहारों को,तरसते फूल सावन में। #मुक्तक #बारिशकाइंतज़ार #विश्वासी