अजीब है न उससे मेरी दोस्ती भी एक ही पल में बेसुमार डाँटती भी है,दुनियाभर के धुन में सुनाती भी है,गुस्सा तो मत पूछो यार.... लेकिन दोस्ती से निकल जाने का कहूं तो पलभर में रुआँसी भी हो जाती है ! कभी अपनी भावनात्मक बातो से रुआंसा कर देती तो, कभी उसके तानों से तंग आकर गुस्सा भी हो जाता हूं ! उसका ज्ञान,प्रवचन की तो कोई सीमा नही है....बिल्कुल सटीक स्वीर में ! ये सच है कि मेरी दोस्ती में उसकी जगह ताउम्र कोई नही ले पाएगा ! दोस्ती के तराजू में उसे रखूं तो एक पाले में वो एक अच्छे इंसान का स्वरूप है तो दूसरे पाले में मेरी प्रेरणास्रोत ! आज का दिन काफी अहम होता है इस प्रकार के रिश्तों को बयां करने का , मगर दिन के दूसरे पहरे में मेरी किसी भूलवश की गई नादानी भरी गुस्ताखी से ये दिन बिगड़ता जा रहा था ,मगर ढलती शाम ने सारी नादानियां पलभर में समेट ली ! और दोस्ती, इस रिश्ते और भरोसे की जड़ो को और मजबूती से जकडे रखा ! सवेरे सूरज से किरणे ,मेरी कलम से स्याही और हृदय से अल्फाज निकलने का एक ही वक़्त था.... और मैने बिन सोचे दोस्ती और उस दोस्त लर लिखना चाहा "वो मेरी दोस्त नही मेरा अभिमान है" "मेरी छत ही नही पूरा आसमान है" खुदा करे सारे दोस्तो की दोस्ती,यारी ऐसी ही हो जैसी मेरी है क्योंकि मेरी नजर में हमारी दोस्ती दुनिया की तमाम पवित्रता, सात्विकता समाहित किये मजबूत भरोसे की नीँव पर खड़ी है !! Dedicated to My dearest Friend . Always be with me as a friend.