मूझे पता नहीं मैं कौन हूं, बोलना तो बहुत कुछ है, न जाने फिर क्यो मैं मोन हूं?? इक्छा तो है बहुत कुछ करने की, अपने तलब के लिए, आफताब के साथ जलने की, जो मन में नहीं क्यू वो किया है, मेरी जिंदगी ही मेरी बडी सजह है, जीना है मकसद पर मकसद बे वजह है, मूझे पता नहीं मैं कौन हूं, बोलना तो बहुत कुछ है, न जाने फिर क्यो मैं मोन हूं?? ©Mehak Mansoori न जाने फिर क्यो मै मौन हूँ??