कल सुबह जब नींद खुलेगी और टूटेगा ये ख्वाब मेरा, तो क्या यहीं होगी तुम मेरे सिरहाने पर अपनी ज़ुल्फ़ों की खुशबू बिखराये हुए, और क्या एक ही सांस मे लिपटेँगी रात की खामोशी और तुम्हारी सांसो की सुरहिया, ये ख्वाब जो देख रहा हूँ डर रहा हूँ कि टूट ना जाये, एक हलचल न हो किसी भी करवट की कि कहीँ तू जाग न जाये, ये रात अब रोक ली जाये, ज़रा गर्दिश में डाल दिये जाएँ ये चाँद और सितारे, पेशी हो इनकी मेरे ख्वाबों की अदालत में और फरमान ज़ारी कर दिये जाए कि खुलने न दे मेरी पलकों को, आज मेरा मेहबूब सो रहा है मेरी आँखों में।।।। ©Ahmad kal subah.... #khwabtootahai