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"चांद, सितारे, फूल, परिंदे, शाम, सवेरा एक तरफ सारी

"चांद, सितारे, फूल, परिंदे, शाम, सवेरा एक तरफ
सारी दुनिया उसका चरबा उसका चेहरा एक‌ तरफ

वह लड़कर भी सो जाए तो उसका माथा चूमूं मैं
उससे मुहब्बत एक तरफ है उससे झगड़ा एक तरफ

जिस शय पर वह उंगली रख दे उसको वह दिलवानी है
उसकी खुशियां सब से अव्वल सस्ता मंहगा एक तरफ

ज़ख्मों पर मरहम लगवाओ लेकिन उसके हाथों से
चारासाज़ी एक तरफ है उसका छूना एक तरफ

सारी दुनिया जो भी बोले सब कुछ शोर शराबा है
सब का कहना एक तरफ है उसका कहना एक तरफ

उसने सारी दुनिया मांगी मैंने उसको मांगा है
उसके सपने एक तरफ है मेरा सपना एक तरफ"

रचनाकार-वरुण आनंद

©Harshit bhardwaj #SunSet
"चांद, सितारे, फूल, परिंदे, शाम, सवेरा एक तरफ
सारी दुनिया उसका चरबा उसका चेहरा एक‌ तरफ

वह लड़कर भी सो जाए तो उसका माथा चूमूं मैं
उससे मुहब्बत एक तरफ है उससे झगड़ा एक तरफ

जिस शय पर वह उंगली रख दे उसको वह दिलवानी है
उसकी खुशियां सब से अव्वल सस्ता मंहगा एक तरफ

ज़ख्मों पर मरहम लगवाओ लेकिन उसके हाथों से
चारासाज़ी एक तरफ है उसका छूना एक तरफ

सारी दुनिया जो भी बोले सब कुछ शोर शराबा है
सब का कहना एक तरफ है उसका कहना एक तरफ

उसने सारी दुनिया मांगी मैंने उसको मांगा है
उसके सपने एक तरफ है मेरा सपना एक तरफ"

रचनाकार-वरुण आनंद

©Harshit bhardwaj #SunSet