मन के बहुतक रंग है, छिन छिन बदले सोय एक रंग मे जो रहे, एैसा बिरला कोय !! कबीर ©Manku Allahabadi कबीर ............................. मन के बहुतक रंग है, छिन छिन बदले सोय एक रंग मे जो रहे, एैसा बिरला कोय। ............................