Nojoto: Largest Storytelling Platform

शहीदो को नमन नमन हैं उन शहीदो को, जो खेल गये जान

शहीदो को नमन 

नमन हैं उन शहीदो को, जो खेल गये जान पर, 
आँख भी ना उठ सके, मेरे वतन की आन पर,
नमन हैं उन शहीदो को, जो खेल गये जान पर, 
आँख भी ना उठ सके, मेरे वतन की आन पर, 
पांव छू कर पिता के घर से जो यूं चल  दिये, 
गर्व हैं वतन को उन पर जो वतन के लिए जिए, 
पौंछ कर के आँसू अपनी माता के रुमाल से
चल दिये जो घर से अपने सर पे कफन को बांध के,
हाथ ना उलझ पडे़ जो खोल गये राखी को, 
वतन के खातिर छोड़ दिया सभी संगी साथी को ,
जो लूटा गये वतन पर मंगेतरो की ओढ़नी, बिवियो के सिंदूर को 
ये शीश करता नमन एसे वतन के नूर को ,
जो लूटा गये मुहब्बत इस वतन के नाम पर 
नमन हैं उन शहीदो को, जो खेल गये जान पर, 
आँख भी ना उठ सके, मेरे वतन की आन पर, 
बन कर के पोरस कभी, कभी छत्रपति शिवाजी, 
लौटाया सिकंदर को कभी, कभी नादिर शाह दोजक दिखलादी, 
जो झेल गये गोली को, जो खेल गये फांसी पर 
एसे वतन के बेटो ने आजादी दिलवादी 
एसे वतन के बेटो ने आजादी दिलवादी, 
हैं वतन की मिट्टी को मान जिनके काम पर 
नमन हैं उन शहीदो को, जो खेल गये जान पर, 
आँख भी ना उठ सके, मेरे वतन की आन पर, 
झूठा वादा कर गये के लौट कर के आयेंगे, 
अबकी बरस माँ की आँखे घर की छत  पक्की बनवायेंगे,
बहन के लिए बालिया भाई की साईकिल लायेंगें 
बच्चो के लिए खिलौने, बिवि को चूडियाँ लायेंगें 
बहला गये जो मन सबका, सब बूझ कर जान कर 
नमन हैं उन शहीदो को, जो खेल गये जान पर, 
आँख भी ना उठ सके, मेरे वतन की आन पर, 
जो लूटा गये मुहब्बत इस वतन के नाम पर,
हैं वतन की मिट्टी को मान जिनके काम पर
बहला गये जो मन सबका, सब बूझ कर जान कर
नमन हैं उन शहीदो को, जो खेल गये जान पर, 
आँख भी ना उठ सके, मेरे वतन की आन पर, 


माधवी हरितस शहीदो को नमन
शहीदो को नमन 

नमन हैं उन शहीदो को, जो खेल गये जान पर, 
आँख भी ना उठ सके, मेरे वतन की आन पर,
नमन हैं उन शहीदो को, जो खेल गये जान पर, 
आँख भी ना उठ सके, मेरे वतन की आन पर, 
पांव छू कर पिता के घर से जो यूं चल  दिये, 
गर्व हैं वतन को उन पर जो वतन के लिए जिए, 
पौंछ कर के आँसू अपनी माता के रुमाल से
चल दिये जो घर से अपने सर पे कफन को बांध के,
हाथ ना उलझ पडे़ जो खोल गये राखी को, 
वतन के खातिर छोड़ दिया सभी संगी साथी को ,
जो लूटा गये वतन पर मंगेतरो की ओढ़नी, बिवियो के सिंदूर को 
ये शीश करता नमन एसे वतन के नूर को ,
जो लूटा गये मुहब्बत इस वतन के नाम पर 
नमन हैं उन शहीदो को, जो खेल गये जान पर, 
आँख भी ना उठ सके, मेरे वतन की आन पर, 
बन कर के पोरस कभी, कभी छत्रपति शिवाजी, 
लौटाया सिकंदर को कभी, कभी नादिर शाह दोजक दिखलादी, 
जो झेल गये गोली को, जो खेल गये फांसी पर 
एसे वतन के बेटो ने आजादी दिलवादी 
एसे वतन के बेटो ने आजादी दिलवादी, 
हैं वतन की मिट्टी को मान जिनके काम पर 
नमन हैं उन शहीदो को, जो खेल गये जान पर, 
आँख भी ना उठ सके, मेरे वतन की आन पर, 
झूठा वादा कर गये के लौट कर के आयेंगे, 
अबकी बरस माँ की आँखे घर की छत  पक्की बनवायेंगे,
बहन के लिए बालिया भाई की साईकिल लायेंगें 
बच्चो के लिए खिलौने, बिवि को चूडियाँ लायेंगें 
बहला गये जो मन सबका, सब बूझ कर जान कर 
नमन हैं उन शहीदो को, जो खेल गये जान पर, 
आँख भी ना उठ सके, मेरे वतन की आन पर, 
जो लूटा गये मुहब्बत इस वतन के नाम पर,
हैं वतन की मिट्टी को मान जिनके काम पर
बहला गये जो मन सबका, सब बूझ कर जान कर
नमन हैं उन शहीदो को, जो खेल गये जान पर, 
आँख भी ना उठ सके, मेरे वतन की आन पर, 


माधवी हरितस शहीदो को नमन