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हर एक स्वाभिमानी दिल अब कुर्सी पाने को आतुर है। कै

हर एक स्वाभिमानी दिल अब कुर्सी पाने को आतुर है।
कैसा खुमार छा गया कैसा ये पागल पन है।। 
जिनको खुद पर विश्वास नहीं पत्नी को आगे लाते हैं। 
स्वाभिमान को कहते हैं ये युवा दिलों की धड़कन है।। 
मर्यादा क्या होती  है आत्म समान भूल जाते। 
सब को नंगा कर सकती है ये कुर्सी ऐसी दुल्हन है।। 
जिसे मिले ना मिले जिसे सब को कुर्सी की चाहत है। 
प्रेम प्यार अपना पन के आगे ये कुर्सी बनती उलझन है।। 
         आशुतोष अमन🙏

©Aashutosh Aman.
  Jhutha Swabhiman

Jhutha Swabhiman #कविता

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