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दिल की बातें लिखी और खत खुला रहने दिया था न पर्दा

दिल की बातें लिखी 
और खत खुला रहने दिया
था न पर्दा कोई ज़माने से
सुख दुख का मैंने हिस्सा किया।
न बनती थी बातें
न हँसते थे लोग
हाल संदेशा पहुँचाने का
लोगों ने मुझे ज़रिया किया।
गुज़रा वक़्त, 
खतों का मौसम बदला
बदले लिखनेवाले, 
मैं बस अब किस्सा हुआ ।
-©अनुपमा झा





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#पोस्टकार्ड
दिल की बातें लिखी 
और खत खुला रहने दिया
था न पर्दा कोई ज़माने से
सुख दुख का मैंने हिस्सा किया।
न बनती थी बातें
न हँसते थे लोग
हाल संदेशा पहुँचाने का
लोगों ने मुझे ज़रिया किया।
गुज़रा वक़्त, 
खतों का मौसम बदला
बदले लिखनेवाले, 
मैं बस अब किस्सा हुआ ।
-©अनुपमा झा





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anupamajha9949

Anupama Jha

New Creator