73 छोड़ो हमें छोड़ो,अपने माँ के पास जाना, बेटे मेरे संग हीं माँ का अभिनंदन करना, तुम नहीं हो मेरे पिता,मेरे तात तो दुष्यंत, सर्वदमन का विरोध बना समर्थन नितांत, गंडा विवरण सुनकर शकुंत हुई विस्मित, मिश्रकेशी की बात आज सच होती प्रतित, असमंजस में शकुंतला लपकी उस ओर, देखें कौन दूषित करता वह पवित्र डोर #Shakuntla_Dushyant