'ये राहें अज़ब की,गज़ब की फिज़ा है जो रुके तो पहुंचे,चले तो ख़ता है ये उलझन है ऐसी, सुलझना मना है बिरह का दुख है, मिलन का मज़ा है हमें क्या पता था कि ऐसी है दुनिया जो थामे तो फ़िसले,छोड़ें तो बढ़िया इसे मिट्टी कहना भी जँचता नहीं है ये मिट्टी तो रहती है,तू बचता नहीं है" #ख़याल#कल्पित ©kapil #MereKhayaal