कश्तियां तो है मगर अब चल नहीं सकती, सूखे दरिया का किनारा हो गया हूँ मैं। बनी खुद की पहचान थी और बूत तोड़ दिया तूने, खुद से अब बना नही सकता इतना बेसहारा हो गया हूँ मैं। तेरे बगैर मेरी जिंदगी का वजूद ऐसा हो गया है, जैसे चाँद से बिछड़ा तारा हो गया हूँ मैं। अब तो मिशाल बन रहा हूँ आशिकों की दुनियां का, इश्क़ से बर्बादी का एक इशारा हो गया हूँ मैं। ©Saurav Tiwari 🇮🇳 चाँद से बिछड़ा तारा #seaside