कितना अजीब है ना पता है मुझे जानती हूँ मैं समझती हूँ मैं जिसे देख रही हूँ वो वह नहीं है... जिसे पढ़ रही हूँ मैं..! पता है मुझे जिसे पढ़ रही हूँ मैं वो वह नहीं है... जिसे देख रही हूँ मैं...! फिर भी क्यूँ... अकारण उलझ रही हूँ मैं देख समझ कर भी सब अपने मन को धोखा दे रही हूँ में क्यूँ दे रही हूँ मैं??? 🌈 Chapter 2