घूंघट में चाँद आरही है , जारही है निंदो को यूँही उरारही , यादो के सहारे तेरी याद आरही हैं चाँद छिपने लगा काले बदलो में चाँदनी का धुंधना अफ़शानो में , एक प्रेम की अनुभूति करा रही हैं हमारे प्रेम की उम्मीद कही सजा रही हैं! सिमरन सोनू की मेल कही दिखा रही है | ...कवी सोनू #Ghoonghat