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शिक्षक..कोई शब्द नहीं....एक महाकाव्य का नाम है...

शिक्षक..कोई शब्द नहीं....एक महाकाव्य का नाम है...
शौहरत भरी इस दुनियाँ में ये फिर भी क्यों गुमनाम है..

अपने सपने छोड़... न जाने कितने सपने बुनता है....
खुद की कब परवाह है इसको..सबकी फ़िक्र ये करता है..
अपने काम भूलकर.....जग के करता सारे काम है...
शौहरत भरी इस दुनियाँ में ये फिर भी क्यों गुमनाम है..

कोई डॉक्टर..कोई वकील..कोई इंजीनियर बन जाता है..
कोई तहसीलदार तो कोई...जिला कलेक्टर कहलाता है..
शिष्य है इसके सारे विशेष..बस गुरु ही इनका आम है... 
शौहरत भरी इस दुनियाँ में ये फिर भी क्यों गुमनाम है..

कोई बड़ा पदनाम नहीं..और ना जुड़ती कोई उपाधि है..
मिल जाए तो ठीक..नहीं तो ये कब सम्मान का आदि है..
यश की कब है चाह इसे..ये हर पल खामोशी की शाम है..
शौहरत भरी इस दुनियाँ में... ये फिर भी क्यों गुमनाम है..

मोटी फीस कमाकर भी..कोई रोगी का खुदा कहलाता है..
न्याय की कुर्सी पर बैठा कोई....परम पिता बन जाता है...
मर्यादा के बंधन में शिक्षक.....इस कलियुग का राम है...
शौहरत भरी इस दुनियाँ में.. ये फिर भी क्यों गुमनाम है..

राष्ट्र निर्माता होकर इसने.. क्या उस सम्मान को पाया है..
और सभी को पूजा जग ने..क्या शिक्षक को अपनाया है..
गुरु तो है गोविंद... कबीर की ये उपमा क्यों बदनाम है...
शौहरत भरी इस दुनियाँ में शिक्षक जाने क्यों गुमनाम है.. #शिक्षक
शिक्षक..कोई शब्द नहीं....एक महाकाव्य का नाम है...
शौहरत भरी इस दुनियाँ में ये फिर भी क्यों गुमनाम है..

अपने सपने छोड़... न जाने कितने सपने बुनता है....
खुद की कब परवाह है इसको..सबकी फ़िक्र ये करता है..
अपने काम भूलकर.....जग के करता सारे काम है...
शौहरत भरी इस दुनियाँ में ये फिर भी क्यों गुमनाम है..

कोई डॉक्टर..कोई वकील..कोई इंजीनियर बन जाता है..
कोई तहसीलदार तो कोई...जिला कलेक्टर कहलाता है..
शिष्य है इसके सारे विशेष..बस गुरु ही इनका आम है... 
शौहरत भरी इस दुनियाँ में ये फिर भी क्यों गुमनाम है..

कोई बड़ा पदनाम नहीं..और ना जुड़ती कोई उपाधि है..
मिल जाए तो ठीक..नहीं तो ये कब सम्मान का आदि है..
यश की कब है चाह इसे..ये हर पल खामोशी की शाम है..
शौहरत भरी इस दुनियाँ में... ये फिर भी क्यों गुमनाम है..

मोटी फीस कमाकर भी..कोई रोगी का खुदा कहलाता है..
न्याय की कुर्सी पर बैठा कोई....परम पिता बन जाता है...
मर्यादा के बंधन में शिक्षक.....इस कलियुग का राम है...
शौहरत भरी इस दुनियाँ में.. ये फिर भी क्यों गुमनाम है..

राष्ट्र निर्माता होकर इसने.. क्या उस सम्मान को पाया है..
और सभी को पूजा जग ने..क्या शिक्षक को अपनाया है..
गुरु तो है गोविंद... कबीर की ये उपमा क्यों बदनाम है...
शौहरत भरी इस दुनियाँ में शिक्षक जाने क्यों गुमनाम है.. #शिक्षक
banshiparihar6249

B.L Parihar

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