उगने वाले ढल जाते हैं, वक़्त के साथ बदल जाते हैं, समय गँवाकर कहते अक्सर, करेंगे कल!कल कब आते हैं, अवसर चूक गए जो गाफिल, जीवन भर फ़िर पछताते हैं, गैरों पर दोषारोपण कर, मन ही मन में अकुलाते हैं करे सामना सच का डटके, जल्दी बात समझ जाते हैं, ख़ुद में कर बदलाव ज़रूरी, जल प्रवाह दिशि बह जाते हैं, संघर्षों को मान के अवसर, नाविक पार उतर जाते हैं, ज्ञान दीप जब जलता 'गुंजन', अज्ञान अंधेर सिमट जाते हैं, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #ढल जाते हैं#