*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“27/10/2021”*📝 ✨ *“बुधवार”*🌟 अब ऐसा “भला” क्यों होता है, ऐसा जब होता है जब “पिता” समझ ही नहीं पाता कि “जीवन का वास्तविक धन” क्या है ? वो “वास्तविक धन” वो अपनी “संतान” को दे ही नहीं पाता, यदि “पिता” अपनी “संतान” को “कर्म का ज्ञान” दे सके, “उचित” क्या है,“अनुचित” क्या है ये “सीखा” सके, “संस्कार की शिक्षा” दे सके तो ये “धन” से कई अधिक महत्वपूर्ण है, ये “जीवन” का वास्तविक धन है, अब आपने वो “कहावत” तो सुनी होगी "पूत कपूत तो क्यो धन संचे, पूत सपूत तो क्यो धन संचे" संतान यदि “कुपुत्र” होगी तो सब “नष्ट” कर देगी, संतान यदि “सुपुत्र” होगी तो “धन” हो ना हो वो “स्वयं कर्म” के मार्ग पर आगे बढ़कर “धन” भी अर्जित करेगी और अपने लिए एक “उज्जवल भविष्य” भी बनाएगी,तो “संतान” को “धन” देने से पूर्व “कर्म का ज्ञान” सिखाइए,“संस्कार” सिखाइए क्योंकि यहीं “जीवन का वास्तविक धन” है *“अतुल शर्मा”🖋️📝* ©Atul Sharma *📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“27/10/2021”*📝 ✨ *“बुधवार”*🌟 #“संतान” #“कर्म का ज्ञान”