*✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“29/6/2021”*🖋️ ✨ *“मंगलवार”*🌟 “ईर्ष्या” हमारे “मन” में “वास” करने वाला एक और “शत्रु”, यह “शत्रु” कभी-कभी हमारे लिए “लाभदायक” भी हो सकता है, किंतु यदि हमने “ध्यान” नहीं दिया तो यह उतना “घातक” भी हो सकता है, यदि आपका कोई “प्रतिद्वंदी” है जो आगे बढ़ रहा है उसे देख कर आपको “ईर्ष्या” हो रही है,और “ईर्ष्यावश” आप “निरंतर प्रयास” करते है,“परिश्रम” करते है, आगे बढ़ने के लिए इससे आपका “विकास” ही होगा, किंतु यदि आप अपने “विरोधी” का बुरा करने के लिए “अग्रसर” हो गए तो यह “ईर्ष्या” आपका भी ही “नुकसान” अवश्य करेगी, एक कहावत भी तो है “ये तो “पशु प्रवृत्ति” है कि आप ही आप चरे”, वहीं “मनुष्य” है जो कि दूसरे मनुष्य के लिए मरे”, यह “ईर्ष्या” जो आपको “विकास” की ओर ले जाती है तो यह “उचित” है, और यदि यह आपको किसी का “बुरा” करने के लिए या “अंत” करने के लिए अग्रसर करती है, तो इससे दूर रहना ही आवश्यक है, आप क्या चाहेंगे स्वयं का विकास या दूसरे का बुरा... *“अतुल शर्मा”🖋️📝* ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 🖊️ *“29/6/2021”*🖋️ ✨ *“मंगलवार”*🌟 #“ईर्ष्या” #“शत्रु”