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"शैतानियां बचपन की" बिना स्वार्थ के बोलेपन में सब

"शैतानियां बचपन की"
बिना स्वार्थ के
बोलेपन में
सब को बाती  थी
सब लोतपोट होते थे
आज भी याद आती है
मन ही मन मुस्कुराते है
जब भी बचपन याद आता है

©Rakhi  Gupta
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rakhigupta3359

Rakhi Om

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