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हर झरोखा मंजिल नहीं होता हर सैलाब प्यास नहीं बुझात

हर झरोखा मंजिल नहीं होता
हर सैलाब प्यास नहीं बुझाता
हर साथी साथ नहीं निभाता
हर राही राह नहीं देखता 
हर कैदी रिहा नहीं होता 
वैसे ही कोई झरोखा मौत के लिए भी 
खुला हो
क्या पता वहीं मुकाम मै जीना हो सुप्रभात।
जब अँधेरे से बाहर निकलने की उत्कंठ इच्छा जागृत हो जाती है, तो कोई न कोई झरोखा खुल ही जाता है।
#झरोखा #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi #yqhindi #bestyqhindiquotes #poetry #inspiration #savitajha 
Collaborating with savita Jha
हर झरोखा मंजिल नहीं होता
हर सैलाब प्यास नहीं बुझाता
हर साथी साथ नहीं निभाता
हर राही राह नहीं देखता 
हर कैदी रिहा नहीं होता 
वैसे ही कोई झरोखा मौत के लिए भी 
खुला हो
क्या पता वहीं मुकाम मै जीना हो सुप्रभात।
जब अँधेरे से बाहर निकलने की उत्कंठ इच्छा जागृत हो जाती है, तो कोई न कोई झरोखा खुल ही जाता है।
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