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-: पाप :- सांसारिक जीवन में लोगों ने अपने-अपने





-: पाप :-
सांसारिक जीवन में लोगों ने अपने-अपने अनुसार क्या पाप है, क्या धर्म, अपने स्तर पर तय कर लिए हैं, लेकिन मेरा मानना है कि जो हमने तय किए हैं, वह पाप या धर्म यह तय करना उचित नहीं।
मेरा मानना है कि हमारे द्वारा किए गए कार्य जो परमात्मा की नजर में गलत हैं, वो पाप हैं और जिस कार्य को परमात्मा स्वीकार करें, वो सभी धर्म हैं।
उच्च जाति का व्यक्ति शुद्र जाति के व्यक्ति के साथ भोजन करना, उठना, बैठना पाप समझता है, लेकिन परमात्मा नही समझते, तभी भगवान श्रीराम ने शबरी के चखे हुए बैर खाकर हमें पाप-धर्म की परिभाषा स्पष्ट कर दी थी।

©Subhash Rajasthani
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