ये जिन्दगी भी क्या अजीब चीज है, दो कदम चले कि लड़खड़ा गई।। आसमां छुआ ही था, गुमां अभी हुआ ही था, चढ़ा ही था विहान पर, गगन की नव उड़ान पर, खुले ही थे अभी अभी जो पर उन्हें जला गई........ ये जिन्दगी भी क्या अजीब चीज है, दो कदम चले कि लड़खड़ा गई।। समय से तेज भागकर, हर एक रात जागकर, बुनें हसीन ख्वाब कुछ, रसूख के लिहाफ कुछ, वहम की चादरें घनीं, उमर से दोगुनी बुनीं, उठा के सिर रखी ही थी, नज़र अभी झुकी ही थी, कि ठोकरों की मौंज पोटली को फिर गिरा गई....... ये जिन्दगी भी क्या अजीब चीज है, दो कदम चले कि लड़खड़ा गई।। हसीं सफर ही कट गया, कि फासला सिमट गया, हर एक ख्वाब टूटकर, निगाह से भटक गया, सम्हालता फिरा जिसे, वो दिन ही स्याह कर गया, जो रात छोड़ दी थी,राह पर दिया सजा गई...... ये जिन्दगी भी क्या अजीब चीज है, दो कदम चले कि लड़खड़ा गई।। लगे जो लोग खास थे, कदम कदम की आश थे, जो झील बन के संग थे, समय पड़ा तो प्यास थे, बस एक हमनवां रहा, उसी से मैं खफा रहा, मैं जिससे भागता फिरा, उसी के दर पे जा गिरा, जो बदहवासियां थीं मेरी आंख को भिगा गईं...... ये जिन्दगी भी क्या अजीब चीज है, दो कदम चले कि लड़खड़ा गई।। ✍️ कवि आलोक मिश्र "दीपक" ©कवि आलोक मिश्र "दीपक" #Life #Nozoto_Film #nozotohindi #Nozoto #nozotofamily #nozotolove #nozotoindia #nozotomotivational