नारी है भाई ये नारी है, इसके सब आभारी हैं! रसोई में अन्नपूर्णा, बाहर ये काली है!! जिसने गलत नज़र है रखीं, उसकी आंख निकाली है!! नारी है भाई ये नारी है, इसके सब आभारी हैं!! महिषासुर को मरने वाली, रक्तबीज का खून पीने वाली है!! सब देवगन है इसके चरणों में, ये देवों पर भी भारी है!! नारी है भाई ये नारी है, इसके सब आभारी हैं!! जिद्द पर आये तो काल से लड़े, तभी तो ये महाकाली है!! जिसने इसे कभी रूलाया, उसके लिए चंडी रानी है!! नारी है भाई ये नारी है, इसके सब आभारी हैं!! सुंदर मुख चंचल नैन हैं इसके, नैनों से प्रेम सुधा बरसाती है!! इसके छाओं में सिष्टी पलता, इसिलिए सबकी दुलारी है!! नारी है भाई ये नारी है, इसके सब आभारी हैं!! बिन नारी की धरती नही, ये ना हो तो कोई कहानी बनती नहीं, आओ मिलकर ये संकल्प दोहराये, बेटी पढ़ानी और बेटी बचानी है!! नारी है भाई ये नारी है, इसके सब आभारी हैं!! ©Sonu Kumar #navratri कविता कोश कविताएं कविता कुमार विश्वास की कविता हिंदी कविता