जो पाषाण अहिल्या थी मन का सच अब कहती है मौन रही क्यों उस युग में बात खरी अब कहती है धवलचन्द्र मुखड़ा चमके कंचन सी काया दमके मुदगल पुत्री,अति सुंदरी गौतम ऋषि की बनी पत्नी बड़े कुटिल थे चन्द्र -इन्द्र छ्ल उनके क्यों सहती है मौन रही क्यों उस युग में बात खरी अब कहती है चरित्रहीन कहकरउसको नारी का अपमान किया कैसा थाऋषि पति उसका सत्य नहीं जो जान सका पतिदेव से मिले शाप की आज भत्र्सना करती है मौन रही क्यों उस युग में बात खरी अब करती है रहे भलाक्यों इस भ्रम में राम करेंगे फिर उद्धार रण -चण्डी दुर्गा बनकर करना दुष्टों का संहार ,सक्षम ,सबल स्वतंत्र बनो हर नारी से कहती है मौन रही क्यों उस युग में बात खरी अब कहती है *पूनम सिन्हा श्रेयसी #खरी बात