मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किये हुए जोश-ए-क़दह से, बज़्म चराग़ां किये हुए माँगे है फिर, किसी को लब-ए-बाम पर, हवस ज़ुल्फ़-ए-सियाह रुख़ प परीशाँ किये हुए जी ढूँढता है फिर वही फ़ुर्सत कि रात दिन बैठे रहें तसव्वुर-ए-जानाँ किये हुए ग़ालिब, हमें न छेड़ कि फिर जोश-ए-अश्क से बैठे हैं हम तहय्य-ए-तूफ़ाँ किये हुए -मिर्ज़ा ग़ालिब ©¶ Sagar #shyari #MirjaGalib #urdu #urdu_poetry #viral #kuk #kurukshetra #