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मजबूर है तू खुदा ने कश थोड़ा और सिखाया होता , काश

मजबूर है तू

खुदा ने कश थोड़ा और सिखाया होता
, काश मुझे तेरे लायक बनाया होता।

हर भीड़ में खुदा ने समझाया था, 
मजबूर है तू,
 मैंने तुझे इसी लायक बनाया था।

जब हाथों की लकीरें बन रही थीं, 
तो मैंने उसे भी मिटाया था,
 क्योंकि मजबूर है तू,
 मैंने तुझे इसी लायक बनाया था।

जब तेरे हाथों में किताब होनी चाहिए थी,
 तब घर संभालने का दर्जा दिया था 
मैंने तुझे, क्योंकि मजबूर है तू,
  मैंने तुझे इसी लायक बनाया था।

जब चलना था तुझे खुद के पैरों पर
, तो मैंने तुझे दूसरों के पैरों पर नाचाया था, 
क्योंकि मजबूर था मैं जो मैंने तुझे
 एक लड़की बनाया था।

©poetrybyakshat
  #GirlChild