अब और कितना सितम मुझपर करोगे, डरता हूं कि मेरे टूटने से पहले थक जाओगे। मुझपर ना सही, खुद पे तो तरस खाओ, ए मौला तुम अपनी मोहब्बत को ना डुबोओगे। गुनहगार मैं ऐसा भी नहीं कि माफेकाबिल ही नहीं, आश यही है तुमसे कि रहमत कब बरसाओगे। वैसे तो कुबूल हर हुक्म है तेरा लेकिन, बस सितम अपने सिवा किसी और से न करवाओगे। गुनहगार